पटना- बिहार के अफसर ‘सर्किट हाऊस’ को अपना निजी बंगला समझते हैं। जिला अतिथि गृह में रहना अफसरों का शौक होता है। अफसर सरकारी अतिथि गृह का उपभोग करते हैं लेकिन उसका किराया चुकता नहीं करते। जिनके ऊपर जिम्मेदारी होती है है वे भी अफसरों को अफना भाई समझ किराया वसूलने में दिलचस्पी नहीं दिखाते। जनता की गाढ़ी कमाई का पैसा सर्किट हाऊस के मेंटेनेन्स पर बहाये जाते हैं और बिना पैसा खर्च किये अधिकारी वहां मौज उड़ाते हैं। हद तो तब हो जाती है कि जब किराया भुगतान किये बिना ही वे चले जाते हैं और डीएम उन्हें एनओसी भी दे देते हैं।आरटीआई से पूरे मामले से पर्दा उठा है।
आरटीआई से सरकारी अतिथि गृह में किराया घोटाला का खुलासा हुआ है। वैसे सभी जिलों के जिला अतिथि गृह की कमोबेश वही स्थिति है। लेकिन लेकिन आज हम बक्सर जिला अतिथि गृह के किराये घोटाले का खुलासा कर रहे हैं। वर्षों पहले सरकारी अफसर जिला अतिथि रहे में रहे,स्थानांतरित होकर दूसरे जिले में चले गये लेकिन किराया चुकता नहीं किया। सरकार को बिना किराया चुकाये हीं डीएम ने उन्हें रिलीव भी कर दिया। जब आरटीआई लगाई गई तब जाकर प्रशासन हरकत में आया और बैक डेट में वैसे अधिकारियों से बकाये किराये के भुगतान को लेकर पत्र लिखा है। सरकारी किराया चुकता नहीं करने में एसडीए से लेकर डीएसपी,डीसीएलआर तक के पदाधिकारी हैं। मामला बक्सर जिले से जुड़ा हुआ है। बक्सर समाहरणालय की तरफ से यह जानकारी 13 जनवरी 2022 को दी गई है.