“दो सांसों के बीच के लम्हों में यूं सिमटती है ज़िन्दगी”… – डॉ. संजीव
पटना- ‘जब अपनों ने ही बेवफाई का दर्द दे गया तो गौरों की बेवफाई का क्या गम बयां करूँ साहब… मेरी किस्ती पड़ी मजधार में, आप ही खेवैया हो मेरे पतवार की नीतीश बाबू…. | इस चंद पंगतियों से एक शख्स ने लीबिया में फंसे रहने का दर्द बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से किया है | उन्होंने मुख्यमंत्री से अश्रुपूर्ण गुहार लगाते हुए कहा है कि साहब मैं – डॉ. संजीव धारी सिन्हा आपके प्रदेश पालीगंज, भरतपुर का निवासी हूं, यहां लीबिया में मैं कैद हूं मुझे निकालने की कृपा करें |
बता दें कि डॉ. संजीव बिहार के बिक्रम-पाली का रहने वाला एक विशेष प्रतिभावान व्यक्ति है जो फिलहाल लीबिया (गल्फ कंट्री) में फंसा हुआ है | डॉ. संजीव का कहना है कि वीजा नहीं मिलने के कारण मैं भारत नहीं आ सकता, मेरे पास खाने के पैसे नहीं हैं, बीमार हूं और पैसे के कारण इलाज नहीं करवा सकता, मैं मर जाउंगा ऐसी हमारी हालत हो गयी है |
दरअसल डॉ. संजीव लीबिया के त्रिपोली यूनिवर्सिटी में 2009 में बतौर प्रिफेसर जॉइन किया था जिसकी तनख्वा तकरीबन 33 लाख रुपया महीना था लेकिन एक साल बाद उसे हटा दिया गया फिर दोबारा उसने 2011 में जॉब जॉइन किया लेकिन डॉ. संजीव का आरोप है कि यूनिवर्सिटी ने तकरीबन पांच साल की पूरी तनख्वा नहीं दिया और उसने जॉब छोड़ दिया | डॉ.संजीव उसके बाद भारत लौटने के लिए लीबिया एम्बेसी से लेकर भारतीय एम्बेसी तक अपने वीजा के लिए वर्षों से चक्कर काट रहा है लेकिन किसी ने उसकी नहीं सुनी और उसका आरोप यह भी है कि ये सभी मेरे पैसे हड़पने का कोशिश कर रहे हैं | डॉ. संजीव कई दफा कई मंत्रियों से भी अपनी गुहार लायी, सुषमा स्वराज से लेकर राजिव प्रताप रुढी, केन्द्रीय मंत्री किरण रेजजू तक भी अपनी आपबीती बताया लेकिन कोई बात अभी तक नही बन पायी | अब उसने अपने मुख्यमंत्री से गुहार लगाया है कि साहब आप तो विकास पुरुष हैं आप अपने जनता के साथ न्याय करते आये हैं , मुझे भी न्याय दिलाये साहब जीवन भर आपका ऋणी रहेंगे|
कविता से लगाया गुहार- शीर्षक “मौत ही है ज़िन्दगी”…
दो सांसों के बीच के लम्हों में यूं सिमटती है ज़िन्दगी,
तिनके-तिनके सी सिमटती और बिखरती है ये ज़िन्दगी
धमाकों में चीखती, और महामारी के बीच लड़ती है ये ज़िन्दगी
कहीं धुप कहीं ठंढी पड़ी है ये ज़िन्दगी
क्या टीवी और नेट को टटकती नज़रों कि है ये ज़िंदगी
मौत की खौफ से अब न डरा ऐ ज़िन्दगी
क्योंकि हर पल मौत में ही है ज़िन्दगी… |
रिपोर्ट- अमलेश आनंद, digital news live, patna