भंगिमा नाट्योत्सव में नाटक ‘शपथग्रहण’ का सफल मंचन
पटना- अमलेश कुमार आनंद- प्रसिद्ध मैथिली नाट्य संस्था “भंगिमा” पटना, का दो दिवसीय नाट्योत्सव गुरुवार से पटना के विद्यापति भवन में शुरू हुआ। यह नाट्योत्सव कोरोना काल में दिवंगत हुए मैथिली नाटककार और निर्देशक कुमार गगन और मनोज मनुज की स्मृति में आयोजित की जारही है। दोनों ही मैथिली साहित्य और रंगमंच के चर्चित लेखक, अभिनेता एवं निर्देशक रहे हैं।
नाट्योत्सव के पहले दिन कुमार गगन लिखित नाटक “शपथग्रहण” का भव्य मंचन किशोर केशव के निर्देशन में किया गया। प्रस्तुत राजनीतिक नाटक में भाषा, आरक्षण और प्रतिभावान युवकों की महत्वाकांक्षाओं के बहाने आज की राजनीति के विद्रूप चेहरे पर व्यंग्य और विमर्श किया गया है जिसमे मंचस्थ कलाकार अंतेश कुमार झा, रश्मि मिश्र, रुचि रानी, बैजू झा, सोनू चौधरी, कपिल मल्लिक, निखिल रंजन और विनोद मिश्रा ने अपने भावपूर्ण अभिनय से समाज मे एक संदेश देने का काम किया। इस नाटक के सहायक निर्देशक सुमित ठाकुर और रश्मि मिश्रा रहे।
नाटक का पार्श्व संगीत बैजू झा और रानी कुमारी ने किया था जो नाटक के दृश्य की रोचकता को बनाये रखने में सहायक दिखा।
बता दें कि नाट्य प्रस्तुति से पूर्व कार्यक्रम की शुरुआत 3 बजे से की गई जिसमें भंगिमा के सदस्य, कलाकार, चेतना समिति के अध्यक्ष विवेकानंद झा के नेतृत्व में गुब्बारे उड़ाकर नाट्योत्सव का शुभारंभ किया। इसके साथ ही नाटक और रंगमंच से जुड़े मैथिली पुस्तकों की प्रदर्शनी और कुमार गगन पर केंद्रित चित्रों कर प्रदर्शनी शुरू की गई। इसके बाद कुमार गगन के रंगमंचीय जीवन पर केंद्रित वृत्तचित्र “कुमार गगन : सोझरायल रंग-योद्धा” का प्रदर्शन हुआ।
भंगिमा द्वारा निर्मित इस वृत्तचित्र का निर्माण कराया क्या जिसके निर्देशक चंद्रभूषण झा थे।
इसके साथ कुमार शैलेन्द्र सभागार में संगोष्ठी का आयोजन भी किया गया जिसका विषय था “मैथिली रंगमंच : कुमार गगनक महत्त्व”। इसमें वरिष्ठ रंगकर्मी प्रेमलता मिश्र प्रेम, तनवीर अख्तर, दिलीप वत्स (सभी पटना), सोनी नीलू झा (दिल्ली), संजीव झा (बंगलोर), मनोज शांडिल्य (हैदराबाद) आदि ने विमर्श किया। इसका संचालन कवि अजित आजाद (मधुबनी) ने किया। इस विमर्श में माना गया कि मैथिली रंगमंच के वर्तमान स्वरूप को गढ़ने में कुमार गगन का योगदान लेखन, निर्देशन, अभिनय एवं संगठन, सभी स्तरों पर महत्वपूर्ण है। मैथिली रंगमंच की छमाही पत्रिका “भंगिमा” के स्मृति अंक का लोकार्पण भी किया गया।
नाट्योत्सव के संयोजक अंतेश झा ने बताया कि शुक्रवार को मनोज मनुज पर केंद्रित कार्यक्रम होगा। इसमें नाटक “नदी गोंगिआएल जाय”( धूमकेतु की कथा पर आधारित व मनोज मनुज द्वारा नाट्य रूपांतरित, निर्देशक : रवीन्द्र बिहारी राजू) की प्रस्तुति की जाएग