दरभंगा। स्त्री – पुरुष सम्बन्धो पर आधारित नाटक ‘दूसरा अध्याय’ का मंचन रविवार को विश्वविद्यालय संगीत एवं नाट्य विभाग में मणिकांत चौधरी के निर्देशन में मंचित किया गया। ये आयोजन विश्वविद्यालय संगीत एवं नाट्य विभाग एवं अभिनय आर्ट की संयुक्त प्रस्तुति में कई गयी।
लेखक अजय शुक्ला के इस नाटक में नाटकीय दृश्यतत्व की अपेक्षा कथात्मकता कि अधिकता दिखा। नाट्यालेख में पूरा तानाबाना यथार्थ, स्मृति और कल्पना और अति कल्पना के झिलमिल रंगो से बनता हुआ दिखा। इस रचना का वास्तविक आकर्षण चरित्रों की जटिलता, स्थिति की बिडंबना और सहज किन्तु जिवंत चित्रण इस नाटक के भाषा एवं संवाद में झलकता है। आधुनिक खोखले जीवन का साक्षात् दर्शन है ये नाटक।
प्रत्यक्ष कथानक के आगे जाकर यह नाटक अनेक प्रश्नो को खड़ा करता है की हमारे स्थापित मुल्यों का आधार क्या है।
देखा जाय तो इस नाटक को दो स्तरों पर देखा जा सकता है, प्रथम दृष्टी पर यह मात्र एक प्रेम प्रकरण प्रतीत हो सकता है। यह प्रकरण स्थापित सामाजिक बंधनों के अतिरिक्त होने के कारण जिज्ञाषा एवं कौतुहल का विषय हो जाता है।
प्रस्तुत नाटक में अभय और नीरजा अचानक मिलते हैं और इतने निकट आ जाते हैं की पुराने संबंधों को छोड़कर एक “दूसरा अध्याय” प्रारम्भ करने का विचार कर लेते हैं। ऐसा क्यों हो जाता है ? और अब आगे वे क्या करेंगें , कैसे करेंगें ? ये प्रश्न नाटक को रोचक बनाये रखतें हैं। अनेक दर्शकों को प्रतीत होता है कि कभी न कभी वे भी इसी नाटक के पात्र रहें थे , या संभवतः आज भी है जैसा कि अभय और नीरजा।
नाटक में अभय के किरदार में थे मणिकांत चौधरी, नीरजा- लाडली रॉय, वेटर- निकेश कुमार ।