पटना- केन्द्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आम बजट 2021 के जरिए किसानों से लेकर मिडिल क्लास तक को साधने का प्रयास किया है। हालांकि मिडिल क्लास के हाथ एक बार फिर से मायूसी ही लगी है। इनकम टैक्स स्लैब में कोई बदलाव नहीं किया गया है। करीब पौने दो घंटे के भाषण में वित्त मंत्री ने ऐलान किया कि 75 साल से अधिक आयु वाले बुजुर्गों को आईटीआर फाइल करने की जरूरत नहीं होगी। यह रियायत उन लोगों के लिए है, जिनकी कमाई का स्रोत पेंशन के अलावा कुछ और नहीं है। वहीं बजट में डीजल-पेट्रोल पर कृषि सेस लगाने का ऐलान किया गया है।
बजट 2021-22 में बिहार की मांगें रही अधूरी
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण वर्ष 2021-22 के लिए देश का बजट पेश किया. उम्मीद थी कि बिहार के लिए भी इसमें काफी कुछ होगा. जाहिर है बिहार जैसे पिछड़े राज्य के लिए कुछ उम्मीदें तो पूरी जरूर हुईं, लेकिन कई ऐसी बातें शेष रह गईं जिसकी मांग वर्षों से की जाती रही हैं. खास तौर पर तब जब केंद्र में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी) और राज्य में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में डबल इंजन की सरकार है, ऐसे में अपेक्षाओं का भी बढ़ना लाजिमी था.
बिहार के जाने-माने अर्थशास्त्री डॉ नवल किशोर चौधरी ने कहा कि जो उम्मीदें थीं वह पूरी नहीं हो पाई हैं. बिहार जैसे पिछड़े राज्यों के लिए जो पैकेज की दरकार थी, वह भी नहीं मिला. इसके साथ ही अप्रवासी मजदूरों की समस्याओं से परेशान बिहार के लिए कुछ अलग से योजनाएं होनी थीं, उसको भी एड्रेस नहीं किया गया. आइये हम नजर डालते हैं कुछ ऐसी ही बातों पर जो केंद्रीय बजट से बिहार को नहीं मिल पाया|
बिहार की नीतीश सरकार विशेष राज्य का दर्जा दिए जाने की की मांग बीते कई वर्षों से उठती रही है. लेकिन, इस बार के आम बजट में भी इस मांग पर कोई घोषणा नहीं की गई.मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की इच्छा थी कि पटना यूनिवर्सिटी को केंद्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा दिया जाए. इसकी मांग उन्होंने पीएम मोदी के समक्ष की थी, लेकिन यह उम्मीद इस बार भी पूरी नहीं हुई. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने राज्य को एक लाख 65 हजार करोड़ के विशेष पैकेज की घोषणा की थी. हालांकि उस घोषणा में से बहुत सारी रकम मिल गई है, लेकिन शेष के लिए कोई स्पष्ट घोषणा नहीं की गई.अमृतसर हावड़ा इंडस्ट्रियल कॉरीडोर को बनने की घोषणा की उम्मीद थी, जिससे बिहार के औरंगाबाद, गया, कैमूर जैसे छह जिलों को फायदा होता पर इसके लिए भी कोई ऐलान नहीं किया गया.दिल्ली-मुंबई की तर्ज पर विदेशी कंपनी के सहयोग से बिहार में भी उद्योग जगत को जमीन खरीद के लिए डेडिकेटेड कॉरीडोर की सुविधा मिलने वाली योजना की बात सामने आ रही थी, पर वह भी पूरी नहीं हुई|