मुंगेर के नौवगढ़ी निवासी विवेकानंद मण्डल की बेटी स्नेहा कुमारी की पिछले तीन साल से सिवान में तैनात थी। वह बिहार की 2013 बैच की कॉन्स्टेबल थी। स्नेहा बैचलर रहती थी। खूबसूरत स्नेहा बहुत कम समय मे ही काफी चर्चित हो गई थी।उसकी तैनाती कभी एक जगह नही रही ,कभी कोर्ट में कभी थाना में तो कभी अधिकारियों के आवास पर। स्नेहा को जानने वाले बताते है कि जिले में आने वाले अधिकारी से उसके अच्छे संपर्क रहते थे।यही वजह हैं की साहब के कोठियों पर भी उसका आना जाना रहता था।फिलहाल स्नेहा की तैनाती जिला समाहरणालय में परिवार न्यायालय के कोर्ट में था। जहाँ से उसने दो दिनों की छुट्टी ली थी 30 और 31 मई के लिए।
सिवान का पुलिस लाइन स्थित महिला क्वार्टर में तीसरे मंजिल पर स्नेहा का फ्लैट था जिसमे वो अकेले ही रहती थी।1 जून को जब स्नेहा डियूटी पर नही आई तो उसके साथ काम करने वाली महिला कांस्टेबल चांदनी कुमारी ने उसे मोबाइल पर फोन किया ।लेकिन स्नेहा ने कॉल रिसीव नही किया।तब आरती ने उसके बगल में रहने वाली एक महिला कांस्टेबल सविता को कॉल किया और जाकर देखने को।कही लेकिन उसने बताया कि कमरे का दरवाजा बंद है और दरवाजे पर खून है। जिसके बाद पुलिस को खबर दी गई।एसपी मौके पर सबसे पहले पहुंचते है और पूरे बिल्डिंग को खाली करवा दिया जाता है। एसपी बताते है कि स्नेहा ने पंखे से लटककर सुसाइड कर लिया। लेकिन उनके पास इस बात का जवाब नही होता है कि सुसाइड केस कमरे में खून कैसे आया?
तफ्तीश में स्नेहा ने बुधवार तक डियूटी की थी रात में दस बजे तक घरवालो से बात हुई थी। बहन ने बताया कि गुरुवार की सुबह तक उसकी बहन ने वाट्सप देखा था।हालांकि उसके बाद गुरुवार को उसने काल रिसीव नही किया। स्नेहा के साथ काम करने वाली चांदनी ने भी बताया कि स्नेहा ने दो दिनों का अवकाश लिया था।लेकिन कही से भी वह घबराई हुई या तनाव में नही थी। हमेशा की तरह हंसमुख थी। 1 जून को जब कमरे में लाश मिली वह सड़ चुकी थी। सवाल उठता है कि क्या इस बिल्डिंग में किसी को लाश की दुर्गंध नही मिली थी? क्या 24 से 30 घंटे में लाश इतना डिकम्पोज हो जाएगा
स्नेहा को जानने वाले जो लोग भी सिवान में है सभी ने चुप्पी साध ली है।सिवान की पुलिस इस मामले को जितना सुलझाने की कोशिश कर रही है इस मामले में खुद ही उलझते जा रही है। सिवान के एसपी लंबी छुट्टी पर चले गए है।मुख्यालय में मौजूद डीएसपी सहित कोई अधिकारी कुछ बोलने को तैयार नही है।
सिवान पुलिस पर सबसे बड़ा आरोप स्नेहा के परिजनों का है।सिवान पुलिस जहा स्नेहा की मौत को।आत्महत्या बात रही है वही स्नेहा के परिजन स्नेहा की मौत को एक बड़ी साजिश।यहां तक कि जो लाश स्नेहा के घरवालो को भेजी गई थी उसे अपनी बेटी की लाश मानने से भी इंकार कर दिया।
घटना के दस दिनों के बाद भी स्नेहा के परिजन अपने आरोप पर कायम है।स्नेहा के बुजुर्ग पिता और परिजनों ने सिवान पुलिस पर कई गंभीर आरोप लगाए हैं । स्नेहा के पिता के अनुसार उसके साथ दुष्कर्म करने के बाद हत्या कर दी गयी और शव को कहीं गायब कर दिया गया । इस मामले में स्नेहा के परिजनों ने सरकार से उच्च स्तरीय जांच करने की मांग की है
पिता का कहना है कॉन्स्टेबल स्नेहा काफी हंसमुख लड़की थी । वो सभी से मिलती थी । जब भी उसकी छुट्टी होती वो मुंगेर के नौवगढ़ी अपने घर परिवार के पास रहती थी । लेकिन इस बार जब सिवान पुलिस ने उन्हें बताया कि स्नेहा की तबियत खराब ही तो हमलोग उससे मिलने सिवान पहुंचे । सिवान पहुंचने पर वहां के एसपी ने बताया कि स्नेहा की तबियत खराब है वो बार बार बेहोश हो रही थी । इस कारण इलाज के लिए उसे पटना भेजा गया है । विवेकानंद ने कहा कि जब स्नेहा से मिलने की बात की तो मुझे दो चौकीदार के साथ पटना भेजा गया । लेकिन पटना पहुंचने से पहले ही मुझे जानकारी दी गयी कि स्नेहा को मुंगेर घर भेज दिया गया । इस दौरान भी पुलिस ने यह जानकारी नही दी कि स्नेहा की मौत हो गयी है । लेकिन जब मुंगेर पहुंचे तो tv पर ख़बर देख कर जानकारी मिली कि स्नेहा ने आत्महत्या कर ली । इस पूरे प्रकरण में पुलिस की भूमिका काफी शक पैदा कर रही है । शव के पहुंचने पर भी वो 50 60 साल की बूढ़ी की थी । जिसके दांत टूटे और सिर के बाल सफेद थे
हमारे सवाल पर स्नेह के पिता के अनुसार स्नेहा की मौत होने के बाद भी उसके शव की न तो विभागीय फोटो ग्राफी की गई न ही सिवान की मीडिया को ही कवर करने दिया गया ।
सवाल उठता है कि आखिर दस दिनों के बाद स्नेहा के परिजनों को सुसाइड नोट क्यो नही दिखाया गया और कोई उन्हें घटना की तस्वीर या वीडियो क्यो नही दिखाया गया? आखिर सिवान की पुलिस परिजनों से बार बार झूठ क्यो बोल रही है?
स्नेहा की मौत के बाद उसके साथ काम करने वाली महिला कांस्टेबलों को भी अधिकारियों द्वारा मीडिया से कोई बात नही करने की हिदायत दी गई है।कई ने तो छुट्टी ले ली है। सवाल उठता है कि स्नेहा के मौत का राज क्या है?