पटना- माता की भेंट गाने वाले जाने माने गायक नरेंद्र चंचल का 80 साल की उम्र में निधन हो गया है| सर्वप्रिय विहार स्थित घर में उन्होंने अंतिम सांस ली. वो लंबे समय से बीमार चल रहे थे. नरेंद्र चंचल ने बचपन से ही अपनी मातारानी के भजन गाते हुए बिताया था. उनके भजन घर घर मशहूर हुए. उन्होंने राज कपूर की फिल्म बॉबी में ‘बेशक मंदिर मस्जिद तोड़ो’ गाना गाया. ये गाना आज भी लोगों की जुबान पर रहता है. नरेंद्र को पहचान मिली फिल्म ‘आशा’, में गाए माता के भजन ‘चलो बुलावा आया है’ से जिसने रातों रात उन्हें मशहूर बना दिया|
नवरात्र आते ही , माता की पूजा होती है, उसके साथ एक आवाज जुड़ती है मशहूर भजन गायक नरेंद्र चंचल का | उत्तर भारत में मां शेरां वाली का जयकारा लगते ही इस नाम की चर्चा होती है. अब यह आवाज यादों में रहेगी. चंचल नहीं रहे. उनके साथ ही एक युग का अंत हो गया. उनकी आवाज अब भी गूंजेगी. बल्कि दशकों और सदियों तक गूंजेगी. लेकिन वह शख्स अब हमारे बीच नहीं है, जिसे जगरातों का पर्याय कहा जाता है|
चंचल ने भक्ति को सुर दिए, एक अलग तरह का बाजार दिया…
दरी से स्टेज से होते हुए जागरण को बनाया इंडस्ट्री| नरेंद्र चंचल ने एक इंटरव्यू में कहा कि एक वक्त माता के जागरण दरी पर होते थे, आज एक इंडस्ट्री है. यकीनन इस इंडस्ट्री को बनाने में उनका बड़ा योगदान रहा. गुरबत के दिनों में उन्होंने कुछ दिन ड्राई क्लीनर की दुकान पर काम किया. उन्होंने एक इंटरव्यू में बताया कि जो 10-15 दिन वहां काम किया, अच्छे कपड़े देखता रहता था कि किसी दिन मेरे पास भी ऐसे कपड़े होंगे| वो दौर था कि उनके पास पहनने के लिए ढंग की चप्पल तक नहीं थी. लेकिन माता के जागरण ने सब बदल दिया. वो सबसे ज्यादा व्यस्त गायक बन गए. शायद यह जागरण की ही आदत थी कि वो रात दो बजे से पहले नहीं सोते थे. सुबह सात बजे फिर उठकर अखबार पढ़ते और सो जाते थे. बाहर का खाना उन्हें पसंद नहीं था. यहां तक कि हवाई यात्रा में भी पत्नी के हाथ के बने पराठे और घीया की सब्जी ले जाना पसंद करते थे|
इस तरह से उनका जीवन मां की भेंट, पसंदीदा गैजेट्स और घर के खाने के साथ चलता रहा. उन्होंने एक एनजीओ भी चलाया. जो एक क्लॉथ बैंक है, जहां कपड़े इकट्ठे करके जरूरतमंदों को दिए जाते हैं. झुग्गी-झोंपड़ी के बच्चों को संगीत और डांस सिखाया जाता है. उनकी किताब है, जिसका नाम है मिडनाइट सिंगर. वाकई उनकी जिंदगी रात की गायकी से जुड़ी है, जो उनकी भाषा में दरी से शुरू हुई थी, फिर स्टेज पर पहुंची और आज इंडस्ट्री है. कुल मिलाकर चंचल ने जगराता को इतना कुछ दिया कि वह हमेशा याद आएंगे|