गीत में यह दर्शाया गया है कि कुछ सैनिक बॉर्डर पर जाने से पहले गुरुद्वारा साहेब माथा टेकने जाते हैं। दर्शन के समय उन्हें पता चलता है कि आज गुरू गोबिंद सिंह के साहिबज़ादों का शहीदी दिवस है। यह पता चलते ही आर्मी के सूबेदार कुलविंदर सिंह(अर्श देओल) के सामने इतिहास का वो पन्ना आ जाता है जब दिसम्बर 1704 में गुरू जी ने मानवता की लड़ाई लड़ी। जहां एक तरफ 40 सिख गुरू साहेब और उनके दो बड़े बेटे अजीत सिंह और
जुझार सिंह जी थे और दूसरी तरफ दस लाख मुगल्स। जंग में गुरु साहेब जी की जीत हुई। गुरू जी द्वारा अपने परिवार की दी गई कुर्बानियों को देखकर सारी सृष्टि कांप उठी थी। आज भी हम उनकी कुर्बानियों को याद कर जोश से भर जाते हैं। ऐसा ही कुछ इन सैनिकों के साथ होता है जब कुलविंदर सिंह उनकी इस वीरगाथा को गाता है और सभी सैनिकों को जोश से भर देता है। गीत को सुनकर सभी जंग की तैयारी शुरू कर देते हैं। बता दें कि अर्श देओल की पहचान भले ही एक अभिनेता के तौर पर हो लेकिन इस म्यूज़िक सिंगल के जरिये वह गायक और निर्देशक के रूप में भी सामने आए हैं।
-अनिल बेदाग़-