भागलपुर: राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने विक्रमशिला महाविहार के ऐतिहासिक एवं सांस्कृति महत्व पर बल देते हुये आज कहा कि इसे एक उच्चस्तरीय विश्वविद्यालय बनाने की जरूरत है। श्री मुखर्जी ने जिले के कहलगांव प्रखंड के अंतिचक गांव स्थित विक्रमशिला महाविहार का अवलोकन करने के बाद एक समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि इस महाविहार को विकसित करने के लिए वह केन्द्र सरकार से बात करेंगे। उन्होंने कहा कि एक समय था जब यह महाविहार प्राचीन भारत का एक प्रमुख शिक्षा केन्द्र था, जहां पठन-पाठन और शोध के लिए देश-विदेश से विद्यार्थी और शिक्षक आते थे।
राष्ट्रपति ने कहा कि प्राचीन काल में भारत में उच्च शिक्षा के लिए राजाओं ने कई शिक्षण केन्द्रों की स्थापना की थी जिनमें तक्षशिला (पाकिस्तान) के अलावा बिहार में नालंदा तथा विक्रमशिला विश्वविद्यालय शामिल है। उन्होंने कहा कि इन स्थलों पर भारतीय पुरातत्व विभाग ने बहुत काम किया है। श्री मुखर्जी ने कहा कि उनके विदेश मंत्री के कार्यकाल के दौरान उन्होंने पाकिस्तान स्थित तक्षशिला और बिहार के नालंदा विश्वविद्यालय का भ्रमण किया था। उस दौरान जापान और सिंगापुर के सहयोग से नालंदा विश्वविद्यालय के विकास के लिए कई कार्य किये गये थे। उन्होंने कहा कि उनकी इच्छा विक्रमशिला महाविहार को देखने और समझने की थी, जो आज पूरी हो गयी। राष्ट्रपति ने कहा कि विक्रमशिला महाविहार वर्तमान में सिर्फ संग्रहालय तक ही सीमित है और इसका विकास नहीं हो सका है।
उन्होंने कहा कि यहां एक उच्चस्तरीय विश्वविद्यालय बनाने की जरुरत है और वह इसके लिए केन्द, सरकार से बात करेंगे। समारोह को संबोधित करते हुए केन्द्रीय कौशल विकास राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) राजीव प्रताप रूडी ने कहा कि विक्रमशिला महाविहार के ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक विरासत का विकास करने और इसे संरक्षित करने की जरुरत है। उन्होंने कहा कि इस महाविहार को विकसित करने के लिए केन्द, सरकार प्रयास कर रही है। समारोह को झारखंड में गोड्डा के सांसद निशिकांत दूबे, भागलपुर के सांसद शैलेश कुमार, बिहार के जल संसाधन मंत्री राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह और पूर्व केन्द्रीय मंत्री शहनवाज हुसैन ने भी संबोधित किया। इस मौके पर राज्यपाल रामनाथ कोविंद और स्थानीय विधायक तथा कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सदानंद सिंह भी मौजूद थे